आज कल सभी बीमारियों की समस्या तो आम बात हो गई है और इनमे हमारे पेट की समस्या भी आती है
stomach in hindi जिस का हम ज़्यादा ध्यान भी नहीं रखते है। ऐसा माना जाता है की सभी बीमारियों की सुरुवात हमारे पेट से ही होती है। क्युकी हम बिना जाने कुछ भी खाते जाते है और हमारा पेट उसे पचने की कोशिश में लग जाता है। कई ऐसी चीज़े होती है जिसके लिए हमारा पेट बना ही नहीं होता है। और हम अपना पेट उन्ही चीज़ो से भरते रहते है।
चलिए जानते है की हमारा पेट कैसे काम करता है और हमे किन किन बातो का ध्यान रखना है।
सबसे पहले हम जान लेते है की ये G I ट्रेक क्या होता है stomach in hindi
G I – यानि गैस्ट्रो इंटेस्टिन (gastro intestine) हम जो भी खाना खाते है अन नली के रस्ते वो पेट (stomach) में आता है। और पेट से स्मॉल इंटेस्टिन में आता है फिर लार्ज इंटेस्टिन में आता है। इसे हम पूरा GI ट्रेक कहते है।

पेट की क्षमता (stomach capacity)
ज़्यादा तर लोगो को इसके बारे में पता नहीं होता है जब हमारा पेट खाली होता है तो उसकी क्षमता 50 ml की होती है, और जब खाना खाते है और पानी पीते है तो हमारा पेट फैल कर 1 से 1.5 लीटर तक का हो जाता है। और जब हम जबरजस्ती और खाना अन्दर डालते रहे तो इसकी क्षमता 4 लीटर तक हो जाती है। इतना पेट अपने अन्दर जगह बना सकता है।
(stomach in hindi) अब बात करते है ऐना टमी के बारे में इसमें कई सारे अलग अलग पार्ट बने होते है जैसे –
1 कार्डियल नौच (cardial notch)
2 फंडस (fundus)
3 बॉडी (body)
4 पैलोरस (pylorus)
5 डुओडेनम (duodeum)
6 प्य्लोरिक (pyloric)
7 एसोफैगस (esophagus)
8 कार्डिअ (cardia)
9 अँगुलार (angular incisure)
10 (antrum)
ये सारे पार्ट्स है पेट के, इसमें जो 1 पार्ट – cardial notch है इसमें एक डोर होता है जब हम खाना खाते है तो ये डोर खुल जाता है और जब खाना एक बार अन्दर चले जाने के बाद ये डोर बंद हो जाता है ,ऐसा इसलिए होता है क्युकी जो कुछ हमने खाया है वो पेट से ऊपर की तरफ न जाए। stomach in hindi
2 पार्ट – fundus जब हम कुछ ज़्यादा खाना खा लेते है तो ये ही पार्ट पेट को फैलने में मदद करता है।
3 पार्ट – body ये पेट का मेन पार्ट है फिर आता है antrum और pylorus फिर स्मॉल इंटेस्टिन शुरू होता है।

यहाँ से हम जानेगे की हमारा पेट कैसे काम करता है।
इसमें सबसे पहला काम जो होता है वो है ये की – हम जो खाना खाते है वो पेट जमा करता है जो सीधी हमारे स्मॉल इंटेस्टिन में जाने से रोकता है, हम जो खाना खाते है वो 2 से 3 घंटे उसी जगह पर रहता है,फिर वो धीरे धीरे स्मॉल इंटेस्टिन में आता है। इसमें स्मॉल इंटेस्टिन को पूरा समय मिलता है पचने के लिए और खाने से नूट्रशन को लेने के लिए।हमने जो खुराख खाया है उसका सेमि सॉलिड के रूप में पेट से जो गैस्टिक जूस निकलता है उसके साथ हमारा जो खुराख है वो मिल जाता है।
stomach से जो जूस निकलता है वो एसिडिक के रूप में होता है। उसके कारण हमने जो भी खाना खाया है अगर उसमे कोई कीटाणु या कोई खतरनाक बैक्टरिया हो तो वो वही मर जाता है और हमे कोई नुकसान नहीं होता है अगर ऐसे एसिड सिस्टम हमारे पेट में न हो तो हम एक दिन भी नहीं जी सकते तो ये एसिड बहुत ज़रूरी होता है।
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stomach गैस्ट्रिक जूस
हमारे पेट में जो गैस्ट्रिक जूस बनता है वो हर दिन 1200 से 1500 ml तक निकलता है हमारे पेट से। इसी की वजह से जो खाना पचने की क्रिया है वो होती है, और इसकी PH होती है- 0.9 से 1.2 तक इसका मतलब की ये बहुत ज़्यादा एसिडिक होता है।
GASTRIC JUICE -stomach in hindi

digestive function (पाचन तंत्र)
जैसे की हमने गैस्ट्रिक जूस के बारे में आपको बताया है की कैसे अन्जाइन्स निकलते है उसी अन्जाइन्स की वजह से हमारे शरीर को जो न्यूट्रिशन चाहिए वो उससे मिलता है और ये अन्जाइन्स जो पेट से गैस्ट्रिक जूस निकलता है उसमे एक प्रोटीन का तत्व मिला होता है।
mucus (म्यूकस)
ये जो म्यूकस है ये बहुत ही ज़रूरी होता है हमारे पेट के लिए, – ये एक गठ पदार्थ होता है और ये पेट के सभी तरफ चिपका हुवा होता है। इसी के वजह से हमे कभी कोई नुकसान नहीं होता है जब भी कोई केमिकल इंजरी या कोई और इफैक्ट हो तो म्यूकस की वजह से कोई नुकसान नहीं होता है। और जो गैस्ट्रिक जूस निकलता है वो एसिडिक होता है ये इतना खतरनाक होता है की किसी लोहे को भी जला दे पर ये हमारे पेट या शरीर को कभी कोई नुकसान क्यों नहीं पहुँचता है? इसकी वजह है हमारे पेट में म्यूकस का होना जो एसिड से भी बचता है।
intrensic factor
stomach से हमे विटामिन बी 12 जो बहुत ही ज़रूरी होता है हमारे शरीर के लिए उसको मिलाने के लिए ये पूरा काम करता है अगर इस factor की कम होती है तो विटामिन बी 12 की कमी होती है और अगर विटामिन बी 12 की कमी होती है तो हेमलगोबिन की कमी हो जाती है और हम एनीमिया के शिकार हो जाते है, इसलिए stomach के फंक्शन बहुत ही ज़रूरी होते है।
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पेट में किसी भी समस्या का कारण –
पेट में पहले से एसिड होता है और अगर किसी वजह से ये एसिड की मात्रा बढ़ती है तो हम डिजिस के शिकार बनते है।
1. अगर अल्कोहल की मात्रा बार बार ज़्यादा ली जाये तो भी किसी किसी के पेट में एसिड की परेशानी हो सकती है।
2. हम कभी कभी बहुत ज़्यादा तीखा या बहुत मसालेदार खाना खाने के आदि हो जाते है तो भी परेशानी आती है।
3. अगर हम किसी तरह का पैन किलर दवाइयों का बार बार इस्तेमाल करते है तो भी एसिड की समस्या होती है।
4. हमे कोई फिजिकल स्ट्रेस हो या मेन्टल स्ट्रेस हो या फिर कोई इंफेक्शन हो जाए तो पेट (stomach) का जो काम करने का क्रिया है वो गड़बड़ा जाता है।
ध्यान दे – हमारे आयुर्वेदा के अनुसार हमे खाते समय एक बाइट को 32 बार जबा कर खाना चाहिए, इससे पेट की कोई भी बीमारी होने का चान्स नहीं होता है या कम हो जाता है।
बहुत से लोगो का खाने का समय ऊपर निचे होता है आपको इस बात का ध्यान रखना है की सही समय में अपना खाना खा ले जिससे की पेट में एसिड रिलीज़ होने का सही समय हो, एसिड तभी रिलीज़ होता है जब हम कुछ खाते है। तो ऐसे में आप अपने खाना खाने का समय को ध्यान में रखिये।
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